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स्वतन्त्रता दिवस जो हमें हमारे पूर्वजों ने 15 अगस्त 1947 को दिलाई। एक ऐसी सुनहरी तारीख जिसके कारण हम आज आजाद भारत मे सांस ले रहे हैं। इस आजादी के मोल मे कई शहीदों ने अपनी जान चुकाई, तब जाकर हमें आजाद भारत की छत मिल पाई है। अब हमारा कर्तव्य है कि हम अब शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप मे भारत देश के नाम सुनहरे अक्षरों मे लिखवायें।
15 अगस्त, 26 जनवरी केवल ये दो दिनों के मोहताज ना बनें, मातृभूमि इस दिन का इंतज़ार कर रही है, जब देश की भूमि पर भ्रष्टाचार का नाम ना हो। जब बेगुनाहों का कत्लेआम ना हो। जब नारी की अस्मत का व्यापार ना हो। जब माता-पिता को व्रद्ध होने का संताप ना हो। ऐसे दिन के इंतज़ार में मातृभूमि आस लगाए बैठी है। क्यूँ न यह सौभाग्य हमें मिले और हम अपने छोटे से कार्य का योगदान देकर मातृभूमि की इस इच्छा को पूरा करने के लिए एक नींव का मूक पत्थर बन जाए।
“कर जज्बे को बुलंद जवान
तेरे पीछे खड़ी आवाम।
हर पत्ते को मार गिरायेंगे
जो हमसे देश बटवाएगे।
जय हिन्द,जय भारत।
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