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प्राइवेट शिक्षा

मेरी कलम से
मेरी कलम से
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स्कूलो मे नए शैक्षिक सत्र शुरू हो चुके है प्राइवेट स्कूलो मे मनमाने ढंग से फीस वसूली के आरोप लगाए जा रहे है, इस बात को लेकर आए दिन अखबार मे हंगामे भी पढ़ने को आते है व आभिभावको आश्वासन भी दिये जाते है कि इसके लिए स्कूल प्रशासन से बातचीत की जा रही है। और दूसरी तरफ सरकार ने भी बच्चो को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी स्कूल खोले हुए है लेकिन उनमे अधिकांश अभिभवाक अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए मंजूर नहीं होते यहाँ तक कि खुद सरकारी अफसरो के बच्चो भी महगे से महगे प्राइवेट स्कूलो कि फीस तो वहन कर रहे है लेकिन अपने बच्चो को सरकारी स्कूल मे पढाना उचित नहीं समझते ओर ऐसा भी नहीं है कि सरकारी स्कूल मे पढ़ाने वाले शिक्षक अच्छे नहीं होते, सरकारी स्कूलो मे पढ़ाने वाले शिक्षक बी.ड(B.ED) या बी.टी.सी(B.T.C) ही नियुक्त किए जाते है और उनको सरकार की तरफ से वेतन भी काफी अच्छा दिया जाता है जो लगभग 30-50 हज़ार तक होता है फिर भी इन स्कूलो मे बच्चो की संख्या इतनी कम होती है कि सरकारी शिक्षको को घर घर जाकर बच्चो को इन स्कूलो मे पढ़ाने के आमंत्रण देना पडता है।

हमारे शिक्षा विभाग को इस तरफ ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है जिससे अधिक से अधिक बच्चो को इन सरकारी स्कूलो का फायदा मिल सके इस कदम से अपने आप प्राइवेट स्कूलो की मनमानी खत्म हो जाएगी व शिक्षा के स्तर मे सुधार आएगा।

अंजलि रूहेला

अम्बैहटा पीर

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