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घास की रोटी

मेरी कलम से
मेरी कलम से
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हिंदुस्तान आज इतनी सारी जनसंख्या के साथ सब धर्मो के साथ रहते हुये भी विकासशील देश है हमारा हिंदुस्तान आज विकसित देश होता अगर ये देश के ठेकेदार देश के धन को यू बरर्बाद ना करते, आज दिल्ली मे हुये खुलासे से एक कंगाल हुई कपंनी फिर से कैसे इतनी टिकाऊ बनकर उभर गई सारे सरकारी टेंडर उसे क्यो दिये गये
२-३साल मे ऐसा क्या हुआ जो कपंनी करोडो मे अपना मुनाफा बैलेससीट पर दर्शा रही है । एक तरफ तो बुदेंलखड मे लोग घास की रोटी बना कर अपना व अपने बचो का पेट भर रहे है ।दूसरी तरफ ये लोग धन को यू बरर्बाद करने मे लगे हुए है माना कि वहॉ सुखे के हालात है लेकिन कया वहॉ इतना भी धन नही है कि लोग को सही तरीके से खाना नसीब हो जाये। क्या है ये सब देश का सिस्टम किसके भरोसे चल रहा है, हमारे देश मे इस सोने की चिड़िया मे तो ऐसा नही होना चाहिये था कि कही तो लोग घास की रोटी खॉ रहे है ओर कही ओर तो करोडो रुपये मे लोग केवल अपनी बर्थड़ेपार्टी सेलीब्रटे कर रहे है। देश की व्यवस्था इतनी लचर कैसे हो सकती है ऐसे तो कोई महत्व नही रह जाता इन सब मंत्री, मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री विधायक ओर सब छोटे बडे नेता का…………..

देखो भुखे मरते ये लो, कैसे लगा देश को ये रोग
खॉ गये सब ये देश के ठेकेदार, मचा हुआ है सब जगह
हॉहॉकार-हॉहॉकार

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