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हिन्दी बाजार की भाषा है, गर्व की नहीं या हिन्दी गरीबों, अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गयी है, क्या कहना है आपका? CONTEST

मेरी कलम से
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हिन्दी बाजार की भाषा है, गर्व की नहीं या हिन्दी गरीबों, अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गयी है, क्या कहना है आपका?   CONTEST

हिन्दी वास्तव में सर्वमान्य भाषा है, बाजारू नहीं गर्व की भाषा है, हर देशवासी को अपनी भाषा पर गर्व होता है और होना भी चाहिए |

हिन्दी को अनेकों कवियों ओर लेखको ने सजाया,संवारा और अपनाया जिनमें मैथलीशरण गुप्त, रसखान, कबीरदास, हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि अनेकों नाम है |

हिन्दी में मिठास है, आपस में मेलजोल पैदा करने की खूबी है। जिस प्रकार भारतीय संस्कृति हर धर्म के साथ सामजंसय बैठा लेती है, अपना लेती है, छुपा लेती है, आसरा देती है, उसी प्रकार हिन्दी भी अन्य भाषाओं के शब्दों को अपने अंदर छुपा लेती है, अपनी माला में पिरो लेती है |

  हिन्दी में अनेको-अनेक खूबियाँ हैं, इसी कारण आम आदमी दस्तकार, मजदूर, कारीगर, गरीब, अमीर, दुकानदार, उद्योगपति, नौकरी-पेशा, अधिकारी गण, शासक, कर्मचारी सभी इसे अपनाते हैं, और गर्व महसूस करते हैं। छात्र भी इसको पढ़ने में, विद्या ग्रहण करने में गौरव महसूस करते हैं ओर सहजता महसूस करते हैं।

 इन सबके होते हुये भी इसके विरोधियो की सख्या कम नहीं है जो इसका
प्रचार-प्रसार होते देखना पसंद नहीं करते | ये लोग नहीं चाहते कि हिन्दी की उन्नति हो | मानसिक रूप से ये लोग अंग्रेज़ी के गुलाम होते हैं, और वे अपने मुंह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, वे अपने आप को भारतीय या हिंदुस्तानी नहीं बल्कि इंडियन कहलाना पसंद करते हैं | मजबूरी में हिन्दी सप्ताह मनाते हैं, इस विचारधारा में उद्योगपति, नौकरी-पेशा, अधिकारी गण, शासक, कर्मचारी और नेता भी हैं | भगवान इनके अहंकार को दूर करे ओर इन्हे सदबुद्धि दे | ताकि ये इंडियन नहीं शुद्द भारतीय कहलाने में, हिन्दी जैसी प्यारी भाषा को अपनाने में, गौरव महसूस करे | तभी सही मायनो में हम अपने आप को स्वतंत्र कहलाने के लायक होगे | अब तो विदेशों में भी लोग बहुत तेजी के साथ हिन्दी सीख रहे हैं। पूरे विश्व में हिन्दी की मान्यता बढ़ती जा रही है, आश्चर्य होता है और बहुत अच्छा लगता है जब कोई विदेशी हमसे हिन्दी में बात करता है या हिन्दी समझ लेता है | इसके फलस्वरूप भी हमें शांति से नहीं रहना चाहिए, अपनी प्यारी-प्यारी हिन्दी के लिए आम लोगो को प्रत्साहित करे | छात्राओं को, छात्रो को, बच्चो को प्रेरित करे ताकि वे अधिक से अधिक हिन्दी पर ध्यान दे | अंग्रेज़ी या अन्य भाषा का ज्ञान लेना बुरा नहीं है, परंतु इसके लिए अपनी मूल भाषा, अपनी मात्रभाषा की तिलांजलि नहीं दी जा सकती है | आने वाला समय हिन्दी का है, अब तकनीकी तौर पर भी हिन्दी की ओर ध्यान दिया जा रहा है | हिन्दी इंटरनेट पर हावी होती जा रही है | इससे लगता है हिन्दी का भविष्य उज्वल है।

ईश्वर करे, हिन्दी  बहुत-बहुत उन्नति करे ओर ये विश्वभाषा के रूप में शीघ्र ही सर्वमान्य हो।

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