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अंहकार मे डूबके नेता मत कर तू गुमान

मेरी कलम से
मेरी कलम से
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अंहकार मे डूबके नेता मत कर तू गुमान, सदा नहीं रहा अभिमान |
यह सब खेल समय का भैया, न चले कपट के धंधे |
एक समय ऐसा आवे , सारी ताकत धरी रह जावे ||
पिछली करनी जब याद आवे ,उसकी सोच दिल घबरावे |
नहीं किसी की चली एक सी , समय बड़ा बलवान ||
सदा नहीं रहा अभिमान……………….
यह ताकत तो आनी जानी , बदले शासक कुर्सी पुरानी |
बिना किस्ती कोई पार न पावे ,सारी ताकत धरी रह जावे ||
चुनाव महा समर जब आवे जनता अपना फैसला सुनावे |
सकट मे फस जाते प्राण, समय बड़ा बलवान ||
सदा नहीं रहा अभिमान……………….
जो बोएगा सो काटेगा , पापो को अपने चटेगा |
बाली बलि ओर कस छली , रावण सबसे महाबली ||
नाम निशान बचा न पाये , चले गये जैसे थे आए |
सत्यमार्ग पर चलने वाले ,पावे है सम्मान ||
सदा नहीं रहा अभिमान……………….
सदा नहीं रहा अभिमान……………….

अंजलि रूहेला
अंबेहटा पीर सहारनपुर

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